Lijjat Padad and Women Empowerment (2023)

लिज्जत पापड का विज्ञापन ग्रुप के सभी सदस्यों ने बचपन में डीडी पर देखा होगा और और लिज्जत पापड़ को बड़े चाव से खाया भी होगा आप को यह भी पता होगा
लिज्जत पापड़ भी अमूल दूध की तरह एक सहकारी आंदोलन की उपज है। जिसे हजारों लोगो ने मिलजुल कर इस बिजनेस को खड़ा किया और सफल बनाया। जैसे दूध के बिजनेस में पुरुषो के साथ महिलाए भी समान भागीदार है वही लिज्ज़त पापड़ पूरी तरह से महिला सशक्ति करण का सबसे बड़ा उदाहरण है
क्या है लिज्जत पापड़ की कहानी…??? इस छोटी सी कहानी के जरिए समझते है

सन 1959 में कुल 07 गुजराती महिलाओं के द्वारा मात्र 80 रुपये से लिज्जत पापड़ शुरू किया गया…,
जिसका पहले दिन का मुनाफा 50 पैसे था…,,
उस समय में 50 पैसे 07 महिलाओं के लिए दिहाड़ी के हिसाब से बड़ी रकम थी…,,
दूसरे दिन दूगुना यानी दो किलो पापड़ बेला गया जिससे इन्हें 01 रुपये की बचत हुई…,,
अब तो ये बात सब महिलाओं में आग की तरह फैल गई और कुछ और महिलाएं आ जुड़ी…!!

Lijjat Padad and Women Empowerment (2023)
Image taken from google under creative commons license

खास बात

ये है कि आज भी इस उद्योग का कोई एक मालिक नहीं है…,
पूरी तरह से सहकारिता से ऑपरेट होने वाला बिजनेस है जिसमें सारा मुनाफा सभी काम करने वाली औरतों में बराबर बाँटा जाता है…,,
17 राज्यों की 82 ब्रांचों में आज लिज्जत पापड़ बनाया जाता है और देश के साथ दुनिया के 25 देशों में निर्यात भी किया जाता है!
निर्यात से 60 करोड़ रुपये की आमदनी सालाना होती है…।।
छगनलाल पारीख से 80 रुपये लोन लेकर खड़ा होने वाला लिज्जत पापड़ आज 1600 करोड़ के भारी भरकम टर्नओवर वाला बिजनेस है…,
जिसमें 45000…जी हाँ 45 हजार महिलाएं काम करती हैं…।।
श्री महिला गृह उद्योग नाम की यह कम्पनी बिना किसी की 01 भी रुपये मदद लिए आज की डेट में 45 हजार परिवारों का पेट भरने का काम कर रही है और मुझे इस देश में महिला सशक्तिकरण का इससे बड़ा उदहारण कहीं नहीं दिखता…।।।

जसवंती बेन पोपट

जो इस बिजनेस को शुरू करने वाली पहली सात महिलाओं में से एक हैं…उनकी अध्यक्षता में 21 महिलाओं की कमेटी लिज्जत पापड़ का बिजनेस हैंडल करती हैं।।
……और ये कोई महँगे संस्थान से MBA की हुई नहीं हैं…,
ये सब वो महिलाएं हैं जो कभी एल्युमिनियम के चकला बेलन से पापड़ बेला करती थीं…!!

लोहाना निवास में रहने वाली जिन 07 औरतों ने मुंबई में जब इस लिज्जत पापड़ को शुरू किया होगा तो उनको तनिक भी गुमान नहीं रहा होगा कि वे किसी समय इतनी औरतों को सशक्त कर पाएंगी और करोड़ों लोगों की प्रेरणा स्त्रोत बनेगी…।।

इस बिजनेस से महिलाएं दिन में लगभग 04 घंटे पापड़ बेलकर 20 से 25 हजार रुपये महीना कमा रही हैं..,
…और यही नहीं सालाना प्रॉफिट के तौर पर उन्हें लिज्जत पापड़ की तरफ से सोने के सिक्के दिए जाते हैं जो वो अपने बेटे बेटियों के शादी ब्याह में काम लेती हैं…!!
चूँकि लिज्जत पापड़ ने कभी मशीनों का प्रयोग नहीं किया उसकी जगह और ज्यादा महिलाओं को जोड़ा गया जिससे पता नहीं कितनी महिलाएं रुपये पैसे या रोजगारी की कमी के कारण होने वाली आत्महत्याओं से बच गयीं…।।

अब सबसे खास बात…..


खबरें हैं कि लिज्जत पापड़ ढलान की तरफ अग्रसर है….
कारण है high production cost और बड़े बिजनेसमैन्स से पापड़ व्यापार में मिल रही प्रतिस्पर्धा…!!
कोई भी मैनेजमेंट या बिजनेस गुरु आपको आसानी से बता देगा कि ज्यादा मैनपॉवर से मशीनों के मुकाबले प्रोडक्शन कॉस्ट बहुत ज्यादा पड़ती है…,
अगर यही लिज्जत पापड़ इसी बिजनेस को मशीनों के सहारे करता तो पैंतालीस हजार के बजाए सिर्फ पाँच सौ महिलाओं से काम चल सकता था…,,
…..44500 महिलाओं की कभी जरूरत ही नहीं पड़ती…!!
चूँकि इसे बिजनेस मानकर नहीं महिला सशक्तिकरण के लिए चलाया गया…,

इसलिए हम सबका कर्तव्य है कि चाहे ज्यादा में खरीदना पड़े पर खरीदिए लिज्जत पापड़ ही…,,
क्योंकि इससे आपका रुपया किसी मोटे बिजनेसमैन की जेब मे नहीं अपने बेटे को IIT करवाने या अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करने का सपना लेकर पापड़ बेलती एक खुद्दार माँ की पल्लू की गाँठ में उसके अरमानों के साथ नत्थी होकर उसके सपने पूरे करेगा…!!
मातृशक्ति को सम्मान प्रदान करे

Taken from Google just to for a Tribute to Women Empowerment. If anybody has a problem, please report and I will take it out.

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